Science

Class 6, Science, Chapter 10, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता

 स्वास्थ्य एवं स्वच्छता

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में सही विकल्प छाँटकर अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखिएः-
(क) व्यक्तिगत स्वच्छता के अन्तर्गत है-
उत्तर:
(i) प्रतिदिन स्नान करना (✓)
(ii) कूड़े का सही जगह निस्तारण करना
(iii) विद्यालय प्रांगण की सफाई करना
(iv) वृक्षारोपण करना

(ख) विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है
उत्तर:
(i) 11 अप्रैल
(ii) 19 जून
(iii) 19 अगस्त
(iv) 19 नवम्बर (✓)

(ग) आँखों की सफाई के लिए प्रयोग करना चाहिए|
उत्तर:
(i) ठण्डा पानी (✓)
(ii) काजल
(iii) गर्म पानी
(iv) इनमें से कोई

(घ) सामाजिक स्वच्छता से तात्पर्य है-
उत्तर:
(i) आँख की स्वच्छता
(ii) नाक की स्वच्छता
(iii) त्वचा की स्वच्छता
(iv) आस-पास की स्वच्छता (✓)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में सही के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) चिह्न लगाइएः-
उत्तर:
(क) शौचालय की साफ-सफाई, प्रतिदिन करनी चाहिए।      (✓)
(ख) दाँतों की सफाई व्यक्तिगत स्वच्छता के अन्तर्गत आती है।     (✓)
(ग) रात में सोने से पहले दाँतों की सफाई नहीं करनी चाहिए।      (✗)
(घ) मलेरिया मच्छरों के काटने से फैलता है।              (✓)
(ङ) डेंगू चूहे के काटने से होता है।         (✗)

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएः
उत्तर:
(क) शौच के बाद साबुन से हाथ धोना व्यक्तिगत स्वच्छता के अन्तर्गत निहित है।
(ख) कमरों की सफाई प्रतिदिन करनी चाहिए।
(ग) खेती में कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(घ) सूखा कचरा हेरे कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।
(ङ) नीले कूड़ेदान में गीला कचरा फेंकना चाहिए।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) शौचालय की साफ-सफाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सार्वजनिक स्वच्छता के लिए शौचालय की साफ-सफाई अत्यधिक आवश्यक है, इससे हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है। शौचालय की सफाई करने से मक्खी एवं मच्छर नहीं बैठते हैं। इस प्रकार गंदगी का फैलाव नहीं होता है। जिससे हम कई प्रकार की बीमारियों से अपने शरीर को बचा सकते हैं।

(ख) घर की साफ-सफाई किस प्रकार करनी चाहिए?
उत्तर:
घर की साफ-सफाई के अंतर्गत-

  1. कमरों की सफाई प्रतिदिन करनी चाहिए।
  2. घर से निकले कूड़े को कम्पोस्ट पिट में या कूड़ेदान में डालना चाहिए।

(ग) शौच हेतु शौचालय का प्रयोग न करने पर क्या-क्या हानियाँ हो सकती हैं?
उत्तर:
शौच हेतु शौचालय का प्रयोग न करने पर विभिन्न प्रकार की हानियाँ हो सकती हैं

  1. वातावरण प्रदूषित हो जाएगी।
  2. तरह-तरह की बीमारिया फैलेंगी।
  3. दूषित जल एवं गंदे वातावरण में अनेक जीव-जन्तु, जैसे- मुक्खी, मच्छर पनपते हैं। जिससे हमारे शरीर में मलेरिया, फाईलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलती हैं।

(घ) वातावरणीय या सार्वजनिक स्वच्छता का क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक स्वच्छता से तात्पर्य आस-पड़ोस की स्वच्छता से है। दूसरे शब्दों में आस-पास के वातावरण की पूर्ण सफाई ही सामाजिक या सार्वजनिक स्वच्छता है। इसके अन्तर्गत गलियों-सड़कों की सफाई, नदियों, तालाबों व जलाशयों की साफ-सफाई, सार्वजनिक स्थल (जैसे- अस्पताल, रेलवे स्टेशन, विद्यालय, पार्क आदि) की स्वच्छता आवश्यक है।

(ङ) व्यक्तिगत स्वच्छता के अन्तर्गत आप किन-किन बातों को ध्यान में रखेंगे? |
उत्तर:
इसके अन्तर्गत दैनिक किये जाने वाले क्रियाकलापों, जैसे-नियमित शौच जाना वे शौच के बाद साबुन से हाथ धोना। प्रतिदिन दाँत, मुख, चेहरा व जीभ की सफाई करना। प्रतिदिन स्नान करना, भोजन के पहले एवं भोजन करने के बाद हाथ धोना, स्वच्छ, कपड़े पहनना । नियमित नाखून की साफ-सफाई करना आवश्यक है।


प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए (लिखकर)
उत्तर:
(क) सामाजिक स्वच्छता- सामाजिक स्वच्छता से तात्पर्य आस-पड़ोस की स्वच्छता से है। दूसरे शब्दों में आस-पास की पूर्ण सफाई ही सामाजिक स्वच्छता है। इसके अन्तर्गत गलियों-सड़कों की सफाई, नदियों, तालाबों व जलाशयों की साफ-सफाई, सार्वजनिक स्थल (जैसे- अस्पताल, रेलवे स्टेशन, विद्यालय, पार्क आदि) की स्वच्छता आवश्यक है। यह हमारा दायित्व है कि हम अपने परिवेश को साफ-सुथरा रखें। यदि कोई व्यक्ति वातावरण को दूषित करता है तो उसे जागरूक करना भी हमारा परम कर्तव्य है।

(ख) सूखा एवं गीला कचरा- शाक-सब्जियों व फलों का कचरा, जीवों का मल-मूत्र आदि सब गलकर संड़ते रहते हैं इन्हें गीला कचरा कहते हैं। शाक-सब्जियों के छिलके, सड़ी-गली सब्जियाँ, खराब फल, छिलके, फलों का रस निकालने के बाद शेष गूदा आदि गीले कचरे के उदाहरण हैं। पॉलीथीन, प्लास्टिक की बनी वस्तुएँ, रबर की बनी वस्तुएँ (टायर, टूटे खिलौने) बिस्कुट, नमकीन आदि खाद्य सामग्रियों के फाइबर के डिब्बे, पैकेट आदि आसानी से नष्ट नहीं होते हैं, इन्हें सूखा कचरा कहते हैं। प्रत्येक नागरिक को यह ध्यान रखना चाहिए कि गीले कचरे को नीले रंग के कूड़ेदान और सूखे कचरे को हरे रंग के कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।

(ग) कम्पोस्ट पिट- किसी मैदान में एक गड्ढा खोदें। इस गड्ढे में सबसे नीचे कुछ महीन कंकड़ बिछा दें। इसके बाद विद्यालय व घर से निकला कचरा इसमें डाल कर ढंक दें। इसे नम रखने के लिए सप्ताह में एक या दो बार गड्ढे में पानी डालें, इस तरह तीन से चार माह में कचरे से खाद बन कर तैयार हो जाएगी। इसका प्रयोग विद्यालय के बगीचों में किया जा सकता है।

(घ) क्लीन सिटी ग्रीन सिटी योजना- जीवन में जितना जल और भोजन का महत्त्व है उतना ही स्वच्छता का भी है। बिना स्वच्छता के हम स्वस्थ्य नहीं रह सकते। भारत को स्वच्छ रखने के परियोजना से हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को इसे शुरू किया। जिसका उद्देश्य 20 अक्टूबर 2019 तक भारत के हर एक घर में शौचालय होना, गीले और सूखे कचरे को कम्पोस्ट करना, गाँव-गाँव में साफ पानी उपलब्ध करना है।

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